छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक आत्मा अब भिलाई के ओवरब्रिज पिलरों पर जीवंत

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चित्रों को दुर्ग निवासी कलाकार मनीष चंद्राकर ने रचा है

भिलाई। छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत, लोक कला और परंपराओं को संरक्षित व सजीव करने की दिशा में भिलाई नगर निगम ने एक सराहनीय पहल की है। महापौर नीरज पाल और आयुक्त राजीव कुमार पांडेय के मार्गदर्शन में सुपेला ओवरब्रिज के पिलरों पर छत्तीसगढ़ की संस्कृति, पर्व-त्योहार, लोकजीवन और सामाजिक संदेशों से जुड़ी भव्य पेंटिंग्स बनाई जा रही हैं।

इन कलाकृतियों में सबसे विशेष चित्रण पंडवानी की मशहूर लोक गायिका पद्म विभूषण तीजन बाई का है, जिन्होंने अपनी गायन शैली से छत्तीसगढ़ की आवाज़ को अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुँचाया। उनके साथ-साथ हरेली तिहार, बैलगाड़ी, ग्रामीण जीवन, लोकगीत, कृषि संस्कृति, और तीरथगढ़ जलप्रपात जैसे दृश्य भी चित्रित किए गए हैं, जो राज्य की परंपराओं और प्राकृतिक धरोहर की झलक दिखाते हैं।

पेंटिंग्स केवल सौंदर्य का माध्यम नहीं, बल्कि जनजागरण और सांस्कृतिक चेतना का भी प्रतीक हैं। इनमें “जल बचाओ, जीवन बचाओ”, “पौधारोपण कर पर्यावरण बचाओ” जैसे पर्यावरणीय संदेश भी शामिल हैं।

इन चित्रों को दुर्ग निवासी कलाकार मनीष चंद्राकर ने रचा है, जो खैरागढ़ के इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से फाइन आर्ट्स में स्नातकोत्तर हैं। उनकी कला में रंगों के माध्यम से छत्तीसगढ़ की आत्मा बोलती है।

यह पहल केवल भिलाई को सजाने का नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को उनकी जड़ों से जोड़ने का एक अभिनव प्रयास है। जब कोई इन पिलरों से गुजरेगा, तो वह केवल चित्र नहीं देखेगा, बल्कि छत्तीसगढ़ की मिट्टी की खुशबू, लोकगीतों की गूंज, और त्योहारों की झंकार महसूस करेगा।

कला अब सिर्फ दीवारों पर नहीं, संस्कृति के जीवंत दस्तावेज़ बनकर उभर रही है।

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