भिलाई : दिल्ली। भारत की समुद्री सुरक्षा को नया बल और आत्मनिर्भरता को नई दिशा देते हुए स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने एक बार फिर अपने दायित्व को गौरवशाली ढंग से निभाया है। भारतीय नौसेना के दो अत्यंत महत्वपूर्ण युद्धपोत क्व ‘शझ अजय और ‘शझ निस्तार के निर्माण में सेल ने विशेष श्रेणी के उच्च गुणवत्ता वाले डीएमआर ग्रेड स्टील प्लेट्स की आपूर्ति कर रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण के संकल्प को मजबूती प्रदान की है।
इन जहाजों के निर्माण में सेल की इकाइयों, विशेष रूप से भिलाई इस्पात संयंत्र की तकनीकी उत्कृष्टता और उत्पादन क्षमता का अद्भुत प्रदर्शन सामने आया है। भिलाई का यह गौरवशाली संयंत्र वर्षों से न केवल देश की औद्योगिक रीढ़ रहा है, बल्कि अब यह राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा कवच भी बन चुका है।
आइएनएस अजय, जो गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड द्वारा निर्मित आठवां और अंतिम एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट है, उसमें प्रयुक्त संपूर्ण स्टील सेल ने ही आपूर्ति किया है। यह स्टील न केवल पोत की संरचनात्मक मजबूती को सुनिश्चित करता है, बल्कि उसकी स्टील्थ क्षमताओं को भी परिष्कृत करता है।
वहीं, आइएनएस जिसे हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने हाल ही में कमीशन किया है, भारत का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल है। गहरे समुद्र में पनडुब्बी बचाव, खोज-बचाव और गोताखोरी जैसे जटिल कार्यों में यह पोत निर्णायक भूमिका निभाएगा। इसके निर्माण में उपयोग की गई विशेष ग्रेड प्लेट्स की सम्पूर्ण आपूर्ति भी सेल ने ही की है।
सेल की यह उपलब्धि केवल इस्पात आपूर्ति भर नहीं, बल्कि यह देश की सैन्य आत्मनिर्भरता की मज़बूत नींव में एक सजीव योगदान है। यह उस भरोसे का प्रतीक है जो भारत की जलसेना अपने ही देश की उत्पादन क्षमता पर करता है।
भिलाई इस्पात संयंत्र का हर टन इस्पात आज सिर्फ ढांचागत निर्माण नहीं कर रहा, बल्कि वह राष्ट्र रक्षा की प्रेरणा, तकनीकी आत्मनिर्भरता की ऊर्जा और “मेड इन इंडिया” की गर्वित लहर बनकर लहराता है।
आत्मनिर्भर भारत की रक्षा नींव को सेल ने किया और मजबूत, आईएनएस अजय और आईएनएस निस्तार में लगा सेल का इस्पात
