“साहित्य सृजन संस्थान की काव्य संध्या एवं दीपावली मिलन हर्षोल्लास से संपन्न”

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“छत्तीसगढ़ के कवियों ने मनाई साहित्यिक दीपावली — कविता, भाव और मुस्कान से सजा मंच”

रायपुर, साहित्य सृजन संस्थान द्वारा लगातार जारी 38 वीं मासिक काव्य संध्या एवं दीपावली मिलन समारोह आज वृंदावन हॉल, सिविल लाइन्स रायपुर में हर्षौल्लास से संपन्न हुआ। जिसमें बिलासपुर, कोरबा, भिलाई, दुर्ग, राजनांदगांव, बालोद, दल्ली राजहरा, महासमुंद, बागबाहरा,
बेमेतरा, कबीरधाम, पलारी, बलौदाबाजार, सारंगढ़ एवं राजधानी के कवि शायर अपनी शानदार रचनाओं का काव्य पाठ किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ.संजय अलंग पूर्व आईएएस एवं अरुण कांत शुक्ला व धर्मेंद्र कुमार पोद्दार विशिष्ठ अतिथि रहे। कार्यक्रम में कल्याणी तिवारी ‘कोकि’ को साहित्य सृजन श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, अदिति वर्मा को साहित्य सृजन श्रेष्ठ काव्य पाठ सम्मान एवं युवा कवियों राहुल साहू किलकारी एवं हीना लखीसरानी को साहित्य सृजन प्रोत्साहन सम्मान से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में डॉ अखिलेश त्रिपाठी, डॉ लक्ष्मीकांत पंडा, डॉ सिद्धार्थ श्रीवास्तव, कस्तूरी दिनेश, कुणाल पाण्डेय,कुमार निर्मल,हबीबखान समर,योगेश शर्मा योगी, दिलीप टिकरिया, एस एन जोशी, डी पी पाठक, मन्नूलाल यदु, तेजेंद्र साहू, सफदर अली, ऋषि साव पटवारी, डॉ. युक्ता राजश्री, रामकुमार पाण्डेय, यशपाल सिंह, कवियों एवं श्रोताओं ने दीपावली कार्यक्रम को विभिन्न की विद्या में काव्य पाठ कर तालियां और वाह वाही लूटी।


कवियों को कुछ बानगी –

  • साहित्य सृजन की बगिया में ,कविताओं के फुल खिलते हैं ।
    यहाँ सभी की लेखनी से साहित्य की सुगंध फैलती है ,
    जो प्यार और खुशिओं का संदेश देती हैं ।
    रूनाली चक्रवर्ती रायपुर
  • वो पांच हैं
    उनमें से चार
    75 वर्षों से जुआँ खेल रहे हैंं
    तीन पत्ती
    चारों में से एक हर बार हारता है
    उसके पास हमेशा
    दो तीन पांच आता है
    अरुण कांत शुक्ला
  • कुर्सी पर बैठे बैठे
    बड़े बड़े घोटाले कर सकता है
    निर्दलीयों का समर्थन पाकर
    सरकार बना सकता है
    धर्मेंद्र कुमार पोद्दार
  • तुरंगम नर्मदा बैनगंगा से बड़ा
    जैसे बसंती पाँख पर चढ़ा
    सर्व सुख भरा पड़ा
    जब भी देखा सतपुड़ा
    डॉ.संजय अलंग
  • ऐसी भला विवशता कैसी जो अपनो से दूर करे
    स्वप्नों का संसार सजाने इच्छाओं को चूर करे |
    अनदेखे सपनों में अपना वर्तमान खो देता है
    याद सताये जब अपनों की, चुपके से रो लेता है ||
    सत्येन्द्र कुमार तिवारी “सकुति”
  • है संभालनी मुझे नींव दो दो घरों की…
    फिर भी मुझे लड़कों से कम आँकते हो…
    आखिर कमी क्या कर दी तुम्हारी माँ-बहनों ने…
    जो जन्म के समय एक लड़की से बेवजह भागते हो?
    काजल.वस्त्रकार
  • ना कोई संदेह सिया पर, प्रश्न राम से जाते पूछ |
    राम राज्य का न्याय ये कैसा, नारी को देखा गया अछूत ||
    प्रश्नों के शूल पर राम खड़े, सिया को इनसे बचाए है |
    त्रेता से कलयुग अग्नि परिक्षा, राम भी देते आए हैं |
    रेणु तेजेन्द्र साहू
  • सभी को आश्चर्य होता है,..
    मेरी मुस्कान पर..
    क्योंकि ….
    मैंने कभी दर्द की..
    नुमाइश नहीं की..
    जिंदगी से जो मिला कबूल किया
    कभी कोई फरमाइश नहीं की
    मंजूषा अग्रवाल
  • खो गयी मीरा कहीं और गुम हुए घनश्याम हैँ l
    हो रहा गलियों में पल पल प्रेम क्यूँ बदनाम है l
    दीपिका ऋषि झा
  • आपस में महोब्बत कि रस्मों को निभाना है।
    ये तीज दिवाली तो मिलने का बहाना है।
    दिनेश राठौर “दानिश”
  • दिग्भ्रमित तुम क्यों हुई हो।
    है प्रश्न तुमसे ये सुता..
    संस्कार देने में हुई क्या कोई हमसे खता..
    घर घरौंदे तोड़ कर तुम उड़ने को बेताब क्यों..
    ख्वाब इन आंखों में कैसा है तुम्हारे ये बसा..
    सीमा पाण्डेय
  • हमने इस चेहरे के पीछे
    ना जाने कितने दर्द समेटे।
    सतरंगी ख्वाब सजने के पहले
    कई किश्तों में टूटे है।
    विजया ठाकुर
  • वो जब अपनी अदा में आप ही यूं मुस्कुराते हैं,
    तो उठता दिल मचल गुज़रे ज़माने याद आते हैं  ।
  • उमेश कुमार सोनी ‘नयन’
  • उचित समय पर कर ले बंदे,अपने सारे काम रे।
    वरना आगे तू ही जाने,होगा क्या परिणाम रे।।

छोड़ नींद जो आलस त्यागे, रहता वह खुशहाल है।पल्लवी झा (रूमा)
रायपुर छत्तीसगढ़

पल्लवी झा (रूमा)
रायपुर छत्तीसगढ़

  • बिहार से राजनीति का विवाद लेकर आना
    या नीतीश तेजस्वी का संवाद लेकर आना
    हर बार रायपुर लीटी चोखा ले कर आते हो
    इस बार छठ पूजा का प्रसाद लेकर आना
    राहुल कलिहारी साहू
  • घर के लोगों से जिसे प्यार नहीं हो सकता
    वो कहीं और वफ़ादार नहीं हो सकता

साज़िशें रच के हराऊँ मैं मेरे दुश्मन को
ये मेरी जीत का आधार नहीं हो सकता

चापलूसी में कोई शख़्स अगर माहिर है
आज के दौर में बेकार नहीं हो सकता

(आर डी अहिरवार ‘रामा’)

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