डॉ. सोनिया बजाज ने भारतीय दर्शन, योग, वेद और वैज्ञानिक सोच के महत्व पर की विस्तृत चर्चा
भिलाई। शासकीय महाविद्यालय जामुल में मंगलवार को भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की पूजा-अर्चना के साथ हुआ। मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. सोनिया बजाज, सहायक प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष, जंतु विज्ञान विभाग, श्री शंकराचार्य महाविद्यालय जुनवानी, भिलाई उपस्थित रहीं।
डॉ. बजाज ने अपने व्याख्यान में कहा कि आधुनिकता और प्रतियोगिता के इस युग में भारतीय ज्ञान परंपरा का विशेष महत्व है। उन्होंने भारतीय दर्शन, आयुर्वेद, योग, आध्यात्मिक शिक्षा, वैदिक परंपरा, साहित्य, कला, संगीत, वेद, उपनिषद, धर्म-कर्म, पुरुषार्थ और वैज्ञानिक सोच जैसे पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह परंपरा हमें संयमित आचरण और संतुलित निर्णय लेने की शिक्षा देती है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन के लक्ष्यों को सहज रूप से प्राप्त कर सकता है। डॉ. बजाज ने बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा कोई नई अवधारणा नहीं, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे सुरक्षित रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।
महाविद्यालय की प्रभारी प्राचार्य डॉ. शशि कश्यप ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को यूजीसी द्वारा उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है, ताकि छात्र-छात्राएं अपनी जड़ों से जुड़ते हुए आधुनिक जीवन में संतुलन स्थापित कर सकें।

कार्यक्रम के अंत में वनस्पति विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रचना चौधरी ने मुख्य वक्ता डॉ. सोनिया बजाज, प्राचार्य डॉ. शशि कश्यप, समस्त प्राध्यापकगण एवं छात्र-छात्राओं का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम का संचालन गजेंद्र कश्यप, सहायक प्राध्यापक (हिंदी) द्वारा किया गया। इस अवसर पर बलराज ताम्रकार, रमेश मेश्राम, संजय परगनिहा, विनिता परगनिहा, पी. हेमा राव, अंजू माला साहू सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।