अमेरिका में जैन समुदाय सहेज रहा अपनी संस्कृति, मनाया दस लक्षण महापर्व

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दुर्ग-भिलाई और छत्तीसगढ़ के लोग भी शामिल हुए सेंट लुइस जैन सेंटर में हुए आयोजन में

भिलाई। सुदूर अमेरिका में बसा भारतीय जैन समुदाय अपनी धार्मिक परंपराओं और संस्कृति को संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इनमें दुर्ग-भिलाई और छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों से जाकर अमेरिका में बसे जैन समुदाय के लोग भी शामिल है। इसी कड़ी में ग्रेटर सेंट लुइस जैन सेंटर (जेसीएसटीएल) ने महात्मा गांधी सेंटर ऑडिटोरियम हॉल में दस लक्षण महापर्व का भव्य आयोजन किया।

इसमें लगभग 80 लोगों ने भाग लिया और भक्ति, ज्ञान व संस्कृति से परिपूर्ण गतिविधियों में शामिल हुए। उल्लेखनीय है कि दस लक्षण महापर्व, दस गुणों का त्योहार, जैन धर्म के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है, जो क्षमा, सत्य और करुणा जैसे मूल्यों को बढ़ावा देता है। यह त्योहार क्षमावाणी – क्षमा दिवस के साथ समाप्त होता है, जब जैन लोग “मिच्छामि दुक्कड़म” कहकर सभी जीवों से क्षमा मांगते और देते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण से हुई।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण बच्चों और युवाओं के प्रस्तुत किए 10 सांस्कृतिक नृत्य और नाटक रहे। इसमें लगभग 20 बच्चों ने भाग लिया। जिसमें सबसे छोटा कलाकार केवल दो साल का था। मानसिक शांति पर एक नाटक ने जैन दर्शन को आधुनिक जीवन से खूबसूरती से जोड़ा। इस दौरान एक अनोखी पोस्टर प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, जिसमें परिवारों ने जैन शिक्षाओं पर आधारित पांच पोस्टर बनाए। हर बच्चे ने अपने माता-पिता के साथ अपना पोस्टर प्रस्तुत किया, जिससे जैन मूल्यों की समझ बढ़ी। बच्चों को और अधिक शामिल करने के लिए, 20 प्रश्नों की एक क्विज़ और पोस्टर में उत्तर खोजने का एक खेल आयोजित किया गया। शाम में नवरात्रि की भावना में तीन बार गरबा और रास नृत्य हुए, जिसके बाद समुदाय के सदस्यों द्वारा तैयार किया गया जैन भोजन परोसा गया।

इस कार्यक्रम को समर्पित स्वयंसेवकों – रीना और नितिन जैन, प्रियंका और पंकज जैन, अंशु और मयंक जैन, साध्वी और अमित जैन, सोमिल और श्रेया जैन, शिखा और राकेश जैन, विपिन जैन, सनी जैन, स्नेहल जैन, पायल और आकाश जैन, पूनम और पराग जैन के योगदान से संभव हुआ। भिलाई निवासी अंशु और मयंक जैन ने बताया कि  जेसीएसटीएल संयुक्त राज्य अमेरिका में 70 से अधिक जैन सेंटरों के नेटवर्क का हिस्सा है। मयंक ने बताया कि यहां सेंट लुइस में जैन समुदाय के 225 लोग निवासरत हैं, जिसमें 60 लोग हिंदी में पूजा करते हैं, वहीं बाकी गुजराती को प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र ने अगली पीढ़ी के लिए सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शिक्षा को मजबूत करने के लिए हाल ही में हिंदी भाषा में कार्यक्रम शुरू किया है।

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