उर्स पाक खिज्र रूमी अलैर्हि रहमान के मौके पर तरही मुशायरा हुआ
दुर्ग, हजरत ख्वाजा जलालुद्दीन खिज्र रूमी अलैर्हि रहमान का उर्स पाक केलाबाड़ी मे दुर्ग की सरजमी पर बहुत ही शानोशौकत से मनाया जा रहा है। ये उर्स पाक सज्जादानशीन व सरपरस्त खानकाह के हजरत सूफी सफी उद्दीन सअदी पिया जी के कयादत मे उर्स शरीफ़ 7( सात )अक्टूबर से 11( ग्यारह) अक्टूबर तक मनाया गया। हर रोज़ सुबह कुरान खानी की गई और सारे जहाँ से व हर मजहबो मिल्लत के लिए दुआ मांगी गई।
उर्स पाक के पहले दिन रात में मिलाद शरीफ और तरही मुशायरे का प्रोग्राम रखा हुआ। जिसमें तरही मुशायरे मे आल इंडिया मुशायरा होता है जिसमें दुर्ग भिलाई रायपुर के अलावा भारत के कई शहरों से शायर शिरकत करते हैं। इस बार भी काफी संख्या में शायरों का आना हुआ। तरही नाअत पाक मिशरा दिया गया ( जिस तरफ चश्में मोहम्मद का ईशारे हो गए।)
मंकब्त का मिशरा दिया गया (मारफत के है चमन ख्वाजा जलालुद्दीन हसन) इस मिशरो पर सभी शायरों ने अपने अपने कलाम को पढ़ा। इस बज़्म की सदारत उस्तादुतशोरा अर्शद जबलपुरी साहब ने की और निजामत उस्ताद मोहतरम शायर सुखनवर हुसैन सुखनवर साहब जी ने की।
मुशायरे मे शिरकत करने वाले शायरों के नाम इस तरह से हैं। जनाब उस्ताद मोहतरम शायर जनाब अब्दुल रशीद अर्शद साहब जबलपुर, मो, इजहार जबलपुरी, साजिद अली साजिद जबलपुरी, सुखनवर हुसैन सुखनवर, रामेश्वर शर्मा रायपुरी, इरफानुद्दीन इरफान धरसीवा,रायपुर मो, मजाहिर हुसैन मजाहिर, रायपुर,उस्ताद शायर अताउर्रहमान, उत्तर प्रदेश,आकिल बिजनोरी, रियाजुद्दीन (बाबू) मौदहा उत्तर प्रदेश, और दुर्ग के शायरों ने भी शिरकत की तरही मिशरे पर मौलाना उस्ताद शायर हाजी गफूर अशरफी साहब, शायर नवेद रज़ा दुर्गवी दुर्ग, अलोक नारंग दुर्ग, नवजवान युवा शायर जनाब अनीस अहमद रज़ा दुर्ग, उस्ताद शायर रियाज खान गौहर, डा, नौशाद अहमद सिद्दीक़ी, मोहम्मद ओवैस अहमद काजी़पेट, इसके अलावा कई नाअत खाॅ हजरत ने शिरकत की मिलादे पाक में, और तमाम मौलाना हजरातो ने, ये प्रोग्राम काफी रात तक चलता रहा और सूफी भाईयों और दिगर शहर के अवाम ने काफी लुत्फ़ लिया।
ये उर्स शरीफ़ का प्रोग्राम 5( पांच) रोज़ तक चलता रहेगा। इसमें खास खान काहे रूमी के तमाम साहबजादो की भी काफी मेहनत व रहनुमाई रहतीं है। सूफी जुनैद बाबा, नावेद बाबा, सूफी जामी बाबा, सूफी आरिफ़ बाबा, सूफी बाबा, और तमाम सूफी भाईयों के सहयोग से ये उर्स शरीफ़ का प्रोग्राम होता है और इसमें शरीक होने वाले अपनी अपनी मुरादों की झोली भर भर कर जातें हैं। हिन्दुस्तान के हर मजहब के लोगों का यहाँ आना होता है। ये उर्स पाक हिन्दूस्तान में भाईचारा का प्रतीक है। ये जानकारी खानकाह के खिदमत दार सूफी युसुफ अली साहब से प्राप्त हुई।