नेत्रदान: एक महादान  भिलाई 3 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जागरूकता पखवाड़े का शुभारंभ

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भिलाई 3 : “नेत्रदान महादान है” – यह नारा केवल एक संदेश नहीं, बल्कि किसी के जीवन में प्रकाश लौटाने का माध्यम है। इसी उद्देश्य को लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भिलाई-3 में 25 अगस्त से नेत्रदान महादान पखवाड़ा का शुभारंभ किया गया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों को नेत्रदान के प्रति जागरूक करना और जरूरतमंदों को नेत्र ज्योति उपलब्ध कराना है।

इस अवसर पर बीईईटीओ सैय्यद असलम ने जानकारी दी कि यह अभियान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज दानी तथा खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. भुनेश्वर कठौतिया के मार्गदर्शन में दुर्ग जिले में चलाया जा रहा है।

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां ग्रामीण क्षेत्रों में लोग खेतों में कार्य करते हैं। कार्य के दौरान आँखों में धूल, कण या चोट लगने की घटनाएं आम हैं, जिससे अनेक लोग दृष्टिहीन हो जाते हैं। ऐसे में नेत्रदान उन लोगों के लिए वरदान साबित हो सकता है।

नेत्र चिकित्सा सहायक अधिकारी  जसविंदर कौर विरदी ने बताया कि आम लोगों में यह भ्रांति है कि नेत्रदान का अर्थ है पूरे नेत्र निकालना, जबकि ऐसा नहीं है। मृत्यु उपरांत केवल दो घंटे के भीतर कॉर्निया (नेत्र की पारदर्शी पटल) को सुरक्षित रूप से निकालकर नेत्र बैंक में संरक्षित किया जाता है, जिससे नेत्रहीनों को दृष्टि दी जा सकती है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सभी स्वस्थ व्यक्ति नेत्रदान कर सकते हैं, सिवाय उन लोगों के जो:

  • सर्पदंश के शिकार हुए हों
  • एड्स, कैंसर, रैबीज जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित हों
  • हैपेटाइटिस बी या सी से पीड़ित हों
  • पानी में डूबने या आग में झुलसने से मृत हुए हों

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भिलाई-3 के डॉ. शिखर अग्रवाल ने अपील की कि “नेत्रदान एक ऐसा दान है, जिससे मृत्यु के बाद भी किसी की जिंदगी में रोशनी लाई जा सकती है। यह सच्चा महादान है।”

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति ने यह सिद्ध किया कि समाज में नेत्रदान के प्रति जागरूकता बढ़ रही है और लोग इस पुण्य कार्य में सहभागी बनने को उत्सुक हैं।आइए, नेत्रदान का संकल्प लें और किसी की अंधेरी दुनिया में रोशनी बनें।

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