संविदा स्वास्थ्य कर्मियों का फूटा गुस्सा: दमनकारी नीति के विरोध में मांगी इच्छा मृत्यु

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स्वास्थ्य कर्मियों का उग्र आंदोलन, राज्यपाल से मांगी इच्छा मृत्यु की अनुमति

दुर्ग। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अंतर्गत कार्यरत संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल को 30 दिन हो चुके हैं, लेकिन अब तक सरकार द्वारा कोई ठोस आदेश जारी नहीं किया गया है। कर्मचारियों के धैर्य का बांध अब टूटता नजर आ रहा है। सोमवार को दुर्ग जिले में गांधी चौक पर सैकड़ों कर्मियों ने शासन की दमनकारी नीतियों के विरोध में विशाल रैली निकाली और राज्यपाल के नाम इच्छा मृत्यु की मांग करते हुए ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा।

हड़ताल की अगुवाई कर रहे जिला अध्यक्ष डॉ. आलोक शर्मा ने बताया कि यह आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर है। शासन द्वारा लगातार बर्खास्तगी के आदेश और धमकियों के बावजूद कोई भी कर्मचारी आंदोलन से पीछे नहीं हटा है। प्रदेश के सभी 33 जिलों से आए कर्मचारियों ने इच्छा मृत्यु की याचिका पर हस्ताक्षर कर महामहिम राज्यपाल से इसे अंतिम विकल्प के रूप में स्वीकार करने की मांग की है।


तीन साथियों की मृत्यु पर दी श्रद्धांजलि, मोमबत्तियां जलाकर दी विदाई

हड़ताल के दौरान तीन संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की मृत्यु हो चुकी है। इस दुखद क्षण को याद करते हुए सोमवार को गांधी चौक स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास सैकड़ों कर्मचारियों ने मोमबत्तियां जलाकर अपने दिवंगत साथियों को श्रद्धांजलि दी। सह-सचिव चंद्रहास धनकर ने कहा, “20 साल सेवा देने के बाद भी संविदा कर्मचारियों को ना तो पेंशन मिलती है, ना ही अनुकंपा नियुक्ति। परिवार बेसहारा हो गया है। ये हड़ताल सिर्फ अधिकार नहीं, अस्तित्व की लड़ाई बन चुकी है।”


30 दिन में नहीं निकला आदेश, सरकार की नीयत पर सवाल

संघ के सचिव लक्की दुबे ने बताया कि सरकार और स्वास्थ्य मंत्री बार-बार मीडिया में यह दावा कर रहे हैं कि कर्मचारियों की 5 मांगें मान ली गई हैं, लेकिन आज तक इनका कोई आदेश जारी नहीं किया गया। उन्होंने कहा, “हमें अब आश्वासन नहीं, आदेश चाहिए। जब तक लिखित आदेश नहीं आता, हड़ताल समाप्त नहीं होगी।”

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बर्खास्तगी की धमकी का कोई असर नहीं, आंदोलन पर डटे 16,000 कर्मचारी

संघ के संयोजक टीकम जटवार ने बताया कि सरकार अब तक 25 नेताओं को बर्खास्त कर चुकी है, और 16,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की धमकी दे रही है। इसके बावजूद कोई भी साथी हड़ताल छोड़ने को तैयार नहीं है। “सरकार की लेटर से कोई नहीं डरा है, किसी ने भी जॉइनिंग नहीं दी है,” उन्होंने स्पष्ट किया।


“अब इच्छा मृत्यु ही अंतिम उपाय” – प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित मिरी

प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी ने बताया कि अब तक शासन से भरोसा उठ चुका है। उन्होंने कहा, “आज हमने 33 जिलों से आए कर्मचारियों के हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन राज्यपाल को सौंपा है। हम सब 16,000 कर्मचारी अब बर्खास्त हो चुके हैं, और सरकार से कोई उम्मीद नहीं बची है। इसलिए इच्छा मृत्यु ही अंतिम उपाय है।”


2019 से लंबित ग्रेड पे, न्यूनतम वेतन 7000 रुपये, घर चलाना मुश्किल

संघ की उपाध्यक्ष दिव्या लाल ने संविदा कर्मचारियों की दयनीय स्थिति को उजागर करते हुए बताया कि, “हमारे सबसे निचले स्तर के कर्मचारी को 8800 रुपये वेतन मिलता है, जिसमें से PF कटने के बाद उसे केवल 7000 रुपये मिलते हैं। इतनी महंगाई में घर चलाना असंभव है। ना तो गृह भाड़ा मिलता है, ना यात्रा भत्ता।”


भारी बारिश में भी डटे रहे कर्मी, आंदोलन में उमड़ा जनसैलाब

हड़ताल के 29वें दिन भारी बारिश के बावजूद गांधी चौक में कर्मचारियों का भारी जमावड़ा देखने को मिला। सभी कर्मचारी एक स्वर में सरकार की दमनकारी नीतियों का विरोध कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने साफ कहा कि जब तक मांगे पूरी नहीं होतीं और लिखित आदेश जारी नहीं होता, आंदोलन जारी रहेगा।


मांगें इस प्रकार हैं:

  1. 2019 में स्वीकृत ग्रेड पे को तत्काल लागू किया जाए।
  2. संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए।
  3. समान कार्य के लिए समान वेतन लागू हो।
  4. सेवा सुरक्षा और पेंशन का प्रावधान किया जाए।
  5. बर्खास्त किए गए कर्मचारियों को बहाल किया जाए।

संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की यह हड़ताल अब सिर्फ वेतन और नौकरी की मांग तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह एक सामाजिक और मानवीय मुद्दा बन चुकी है। शासन की चुप्पी और दमनकारी रवैये से नाराज़ कर्मचारी अब अपने जीवन के अधिकार को लेकर भी लड़ने को मजबूर हैं।

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