128 सिंधी पंचायतों के साथ मिलकर सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने विशेष अभियान
भिलाई, छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत के प्रदेश अध्यक्ष महेश दरयानी के नेतृत्व में प्रदेश की 128 सिंधी पंचायतों के साथ मिलकर सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने, सिंधी भाषा और संस्कृति के संरक्षण एवं समाज को अनुशासित करने हेतु एक व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में भिलाई शहर की सभी सिंधी पंचायतों की दो महत्वपूर्ण बैठकें न्यू खुर्सीपार सिंधी भवन एवं झूलेलाल धाम, वैशाली नगर में आयोजित की गईं।

बैठक में समाज को अनुशासित करने हेतु नियम बनाने के लिए सभी से सुझाव व समर्थन मांगा गया। इसमें प्रमुख रूप से कॉकटेल एवं पूल पार्टी जैसी आधुनिकता के नाम पर फैल रही कुरीतियों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा गया, जिसे अधिकतर सदस्यों ने समर्थन दिया।

सिंधी भाषा व संस्कृति को जीवंत बनाए रखने हेतु समाज के प्रत्येक सदस्य से घर में सिंधी भाषा में संवाद करने, युवाओं के विवाह अपने समाज में ही करने, एवं प्रत्येक शुक्रवार को झूलेलाल धाम में पूजा-अनुष्ठान में शामिल होने की अपील की गई। विवाह आयोजनों को निर्धारित मुहूर्त में संपन्न करने तथा पर्वों को झूलेलाल धाम में आयोजित करने का भी सुझाव दिया गया।

बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि प्रदेश स्तर पर ऑनलाइन सिंधी भाषा प्रशिक्षण शुरू किया जाएगा। समाज को लव जिहाद एवं धर्मांतरण जैसे खतरों से बचाने के लिए सेमिनार आयोजित किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त समाज के बच्चों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण और 6 से 14 वर्ष की बच्चियों को महिला समिति द्वारा यौन अपराधों से बचाव हेतु जागरूक किया जाएगा।
चेट्रीचंड्र पर्व को शासकीय अवकाश घोषित करवाने के लिए मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने तथा इस दिन सभी सिंधी व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बंद रखने की अपील की गई। इसी दिन बाइक एवं कार रैली निकालकर ईष्टदेव साईं झूलेलाल के संदेश – “प्रकृति संरक्षण” – का प्रचार-प्रसार करने पर जोर दिया गया।
बैठक में सिंधी समाज के प्रदेश व जिला स्तर के अनेक प्रमुख पदाधिकारी एवं पंचायत प्रतिनिधि उपस्थित रहे। इनमें प्रमुख रूप से प्रदेश अध्यक्ष महेश दरयानी, उपाध्यक्ष मनोहर शिवानी, जीवन बजाज, कोषाध्यक्ष कैलाश बालानी, सह कोषाध्यक्ष तनेश आहूजा, महासचिव बलराम आहूजा, सचिव अमर चंदानी, शिवन दास, राजू चंदनानी, गोविंद कुकरेजा, मुरलीधर कारवानी, डॉ धर्मेंद्र कृष्णानी और भिलाई की विभिन्न पंचायतों से जय अंबवानी, दिलीप पवानी, शामनदास नत्थानी, मनोज माखीजा, अशोक गंगवानी, गोपाल दास चंदवानी, कैलाश वरंदानी, धरमदास बत्रा, प्रकाश डिंगा, प्रकाश मदनानी, राकेश नागदेव, गोपी राजपलानी, मनोहर लाल थदानी, रामचंद्र छुगानी, अशोक मूलचंदानी, ठाकुर साधवानी, नरेश माखीजा, मिट्ठू मेघवानी, रमेश कुमार छतीजा, गोपाल राजपलानी, नानक छतीजा, ओमप्रकाश सचदेव, मनोज आहूजा, नवीन वरंदानी, सुरेश नागदेव, सुभाष भगत, अनिल थारवानी, श्याम वासवानी, हरीश हासिजा, हरीश पोपटानी आदि शामिल रहे।

पंचायतों के इस सामूहिक प्रयास से समाज में अनुशासन, एकता, भाषा और संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों को सजग व सशक्त बनाने की दिशा में सार्थक पहल की जा रही है।