रायपुर: मध्यप्रदेश के जबलपुर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में एक प्रेरक मिसाल सामने आई। यहां रोड दुर्घटना में घायल 34 वर्षीय सत्येंद्र यादव को अस्पताल लाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया। दुख की इस घड़ी में सत्येंद्र के परिवार ने एक बेहतर पद प्रेरक निर्णय लिया—अंगदान। डाक्टरों की समझाइश और भावनात्मक समर्थन से परिवार ने दिल, लीवर और दोनों किडनी दान करने की सहमति दी। यह निर्णय केवल एक परिवार की सहनशीलता नहीं, बल्कि इंसानियत की गहराई को दर्शाता है। गुरुवार को सुबह से ही अंगों को सुरक्षित निकालकर तय गंतव्यों तक पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू हुई। दिल को अहमदाबाद के सिम्स अस्पताल भेजा गया, जहां एक मरीज़ को जीवनदान मिला। लीवर को भोपाल के सिद्धांता सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल रवाना किया गया, जहां एक अन्य मरीज के जीवन में रोशनी आई। वहीं एक किडनी जबलपुर में ही किसी जरूरतमंद को ट्रांसप्लांट की गई। अंगों को समय पर पहुँचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर भी बनाए गए थे। ट्रैफिक पुलिस और प्रशासन की सहायता से मेडिकल कॉलेज से एयरपोर्ट तक एंबुलेंस बिना रुके पहुँची। सत्येंद्र भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका दिया गया जीवनदान तीन परिवारों की सांसों में अब भी जीवित है। यह कहानी न केवल अंगदान की महत्ता दर्शाती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि एक निर्णय, एक बलिदान, कई ज़िंदगियों में उजाला भर सकता है।