भारतीय जीवन बीमा निगम रायपुर में हिंदी पखवाड़ा समापन पर कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन

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साहित्य सृजन संस्थान के सहयोग से आयोजित हुआ कार्यक्रम, कवियों की रचनाओं से गूंजता रहा सभागार

रायपुर। भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के मंडल कार्यालय, पंडरी, रायपुर में हिंदी पखवाड़ा 2025 के समापन अवसर पर  एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन साहित्य सृजन संस्थान के सहयोग से किया गया, जिसमें छत्तीसगढ़ के ख्यातिप्राप्त कवियों ने अपनी सशक्त प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि मंडल प्रबंधक सुनीता राजपूत रहीं। उन्होंने हिंदी के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि “हिंदी हमारी पहचान है, और ऐसे आयोजन हिंदी को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करते हैं।”

कवि सम्मेलन में प्रमुख रूप से शामिल कवि डॉ. रामेश्वरी दास, सीमा पाण्डेय, उमेश कुमार सोनी ‘नयन’ और दीपक ऋषि झा ने मंच से अपनी कविताओं के माध्यम से समाज, संस्कृति और भाषा की गहराइयों को छुआ। उनकी रचनाओं को श्रोताओं से भरपूर सराहना मिली और सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

कार्यक्रम का संचालन शानदार अंदाज में एन. जे. राव ने किया, जिन्होंने कवियों के भावों को मंच पर बखूबी प्रस्तुत किया और कार्यक्रम को प्रभावशाली दिशा दी।

इस अवसर पर एलआईसी रायपुर के वरिष्ठ अधिकारी सुधीर मूलतकर, एस. वी. माधवी राव, सुमन तिर्की, धनंजय पांडे, संध्या राज, अनुरोध शर्मा, हिंदी अधिकारी आलोक धुरिया, इंश्योरेंस एम्प्लॉईज एसोसिएशन रायपुर के अध्यक्ष राजेश पराते तथा साहित्य सृजन संस्थान के अध्यक्ष वीर अजीत शर्मा विशेष रूप से उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया और कवियों की प्रस्तुति का आनंद लिया। पूरा हॉल उत्साह और साहित्यिक रंग में सराबोर नजर आया।

काव्य पाठ की झलकियाँ:

  • उमेश कुमार सोनी ‘नयन’ ने हिंदी भाषा के महत्व को दर्शाते हुए कहा:

“मैं नन्दनवन की निर्मात्री, मैं भारत माँ की बिंदी हूँ,
मैं मानवता की पोषक हूँ, इसलिये आज तक ज़िंदी हूँ…”

  • दीपक ऋषि झा ने सामाजिक परिवर्तन पर कटाक्ष करते हुए भावपूर्ण पंक्तियाँ प्रस्तुत कीं:

“खो गई मीरा कहीं और गुम हुए घनश्याम हैं,
हो रहा गलियों में पल-पल प्रेम क्यों बदनाम है…”

  • सीमा पाण्डेय की कविता ने जीवन के यथार्थ को दर्शाया:

“मुखौटे हटते ही हालात बदल जाएंगे,
एक चेहरे के कई रंग नजर आएंगे…”

  • डॉ. रामेश्वरी दास ने हिंदी साहित्य के गौरव को पुनः स्मरण कराते हुए कहा:

“हिंदी मेरी नहीं बची तो, क्या जीवन में पहचान बचेगा…”

कार्यक्रम के अंत में मंडल प्रबंधक एवं अन्य अधिकारियों द्वारा कवियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।

गौरतलब है कि एलआईसी रायपुर द्वारा प्रतिवर्ष हिंदी पखवाड़ा के अवसर पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है, और साहित्य सृजन संस्थान के कवियों को विगत चार वर्षों से लगातार आमंत्रित किया जा रहा है।

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