आईएमए भवन, दुर्ग में आयोजित हुआ साहित्यिक समारोह
दुर्ग, रविवार, डॉ संजय दानी का ग़ज़ल संग्रह चश्मे बद्दूर का विमोचन आईएमए भवन दुर्ग में किया गया और मंज़रे आम में लाया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रविन्द्र चौबे ने डाक्टर संजय दानी को आशीर्वाद देते हुए कहा कि मैं उनकी 7 किताबों के विमोचन का गवाह हूँ और उम्मीद करता हूँ कि कम से कम उनकी आने वाली 7 किताबों के विमोचन का साक्षी बनूं।
कार्यक्रम के अध्यक्ष रवि श्रीवास्तव के उद्गार रहे कि डाॅ दानी एक अच्छे ग़ज़ल कार तो हैं साथ में उनकी सबसे बड़ी खासियत है कि वे दुर्ग भिलाई के सभी साहित्यकारों को साथ लेकर चलते हैं अतः उनके कार्यक्रमों में दुर्ग भिलाई के अधिकांश साहित्यकार खुशी खुशी अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर उन्हें आशीर्वाद प्रदान करते हैं। विशिष्ट अतिथि डॉ परदेशीराम वर्मा ने कहा कि डाॅ दानी बहुत अच्छा लिख रहे हैं उनकी कई ग़ज़लें नामी गिरामी शायरों की फिलासफी को रेखांकित करती हुई नज़र आती है। जो एक बहुत बड़ी बात है। रायपुर से पधारे डाॅ चितरंजन कर, जिन्हें इस वर्ष छत्तीसगढ़ सरकार ने पंडित सुन्दर लाल शर्मा से नवाज़ा है , अपने विश्लेषण में कहां मां पर कहे गई उनके कई अशाआर दिल को छूते हैं साथ ही एक बड़ा मैसेज देते हुए दिख रहे हैं। आलेख पाठ का वाचन करती हुई सरला शर्मा ने ग़ज़ल के विन्यास के बारे में अपने विचार रखते हुए कहा कि डाॅ दानी की ग़ज़लें हमारे जीवन के अधिकांश आयामों को उकेरती हुईं हमें बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर रही हैं कि हम जो वर्तमान में कर रहे हैं वो कितन सही और कितना ग़लत है। दुर्ग ज़िला हिन्दी साहित्य समिति के अध्यक्ष बलदाऊ लाल साहू ने कहा कि डाॅ दानी साहित्य की परिधि में एक आल राउंडर हैं। वे गजलों के अलावा सार्थक कहानियाँ व उपन्यास भी लिख रहे हैं , साथ ही छत्तीसगढ़ी में हास्य व्यंग्य की मंचीय कविताएं भी उनके ज़ेहन में कूट कूट कर भरी हैं। इस विमोचन समारोह मेँ डॉ संजय दानी ने अपनी साहित्यिक यात्रा के उतार चढ़ाव के बारे में अपने विचार रखते हुए कहा कि मेरे प्रारंभिक दौर में मेरी गजलों की गलतियाँ बताने वाले लोग मेरे सबसे बड़े हितैषी हैं। उन्हीं के कारण मुझे गजल लेखन की राह में बेहतर मंज़िल हासिल हुई है भविष्य में और भी बेहतर मंज़िल होंगी ऐसा मैं सोचता हूँ।

कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन का दायित्व डाॅ संजय की अर्धांगनी डाॅ ममता दानी ने बखूबी निभाया व श्रोताओं को अपनी वाणी से मंत्र मुग्ध कर यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या कोई व्यस्त चिकित्सिका भी साहित्यिक भूमिका अच्छे से निभा सकती है। कार्यक्रम के शेष भाग का संचालन शायर इसराईल शाद बेग़ बिलासपुरी ने किया। उन्होंने अपनी दो दो पंक्तियों के शेर से वक्ताओं को बारी बारी से उदबोधन हेतु बुलाते हुए कार्यक्रम का प्रवाह बहुत तेज़ और कर्णप्रिय रखा। कार्यक्रम के अंतिम दौर में डाॅ संजय दानी व उनकी अर्धांगनी ममता दानी का सम्मान अतिथियों के द्वारा किया गया और उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा गया कि आपकी सबसे बड़ी संपत्ति आपकी लेखनी है जिसे आप जितना लुटाओगे उतनी ही तेज़ी से वह आपके पास लौट कर आयेगी व आपको समाज में मान सम्मान दिलाने का काम करेगी। इसके बाद संस्था की तरफ से सारे अतिथियों को शाल व श्रीफल भेंट कर उनको सम्मानित किया गया। आभार प्रकट करने की ज़िम्मेदारी संस्था के सचिव राकेश गुप्ता रुसिया ने निभाई व सारे उपस्थित साहित्यकारों व साहित्य प्रेमियों को स्वलपाहार के लिये आमंत्रित किया गया। इस कार्यक्रम में दुर्ग भिलाई के लगभग डेढ़ सौ साहित्यकारों ने अपनी भागीदारी दर्ज कराकर कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई व दिखाया कि दुर्ग भिलाई का साहित्यिक परिवेश किसी से कम नहीँ है।