भिलाई में शुरू हुआ प्रदेश का पहला तैरता हुआ सोलर प्लांट

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मरोदा-1 जलाशय में 15 मेगावाट फ्लोटिंग सौर संयंत्र का शुभारंभ, हर साल 34.25 मिलियन यूनिट हरित ऊर्जा का होगा उत्पादन

भिलाई। छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक नई उपलब्धि जुड़ी है। भिलाई इस्पात संयंत्र के अंतर्गत मरोदा-1 जलाशय में राज्य का पहला 15 मेगावाट फ्लोटिंग सौर विद्युत संयंत्र 23 सितंबर को विधिवत रूप से शुरू कर दिया गया। यह परियोजना सेल और एनटीपीसी के संयुक्त उपक्रम एनएसपीसीएल द्वारा क्रियान्वित की गई है, जो प्रदेश में हरित ऊर्जा और ग्रीन स्टील की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

इस परियोजना से हर वर्ष लगभग 34.25 मिलियन यूनिट स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन होगा, जिससे 28,400 टन कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी और 0.23 लाख टन कोयले की बचत संभव होगी। कुल 111.35 करोड़ रुपये की लागत से तैयार यह संयंत्र जलाशय के लगभग 80 एकड़ जल क्षेत्र में स्थापित किया गया है। संयंत्र द्वारा उत्पादित संपूर्ण ऊर्जा का उपयोग भिलाई इस्पात संयंत्र की आंतरिक आवश्यकताओं के लिए किया जाएगा।

इस अवसर पर संयंत्र परिसर में एक भव्य उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया, जिसमें सेल, एनएसपीसीएल, सीआईएसएफ और परियोजना से जुड़े विभिन्न अधिकारियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण के प्रतीक स्वरूप वृक्षारोपण और गुब्बारे छोड़ने की गतिविधियाँ भी हुईं।

इस फ्लोटिंग सोलर प्लांट से न केवल ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा मिलेगा बल्कि जलाशय में जल वाष्पीकरण में कमी और स्थानीय रोजगार सृजन में भी सहयोग मिलेगा। परियोजना के तकनीकी पक्षों को भी मौके पर प्रस्तुत किया गया, जिसमें बताया गया कि यह संयंत्र कठिन मौसम स्थितियों जैसे आंधी-तूफान और भारी बारिश को झेलने में भी सक्षम बनाया गया है।

इस परियोजना की परिकल्पना पावर फैसिलिटीज के अधिकारियों द्वारा की गई थी और इसका शिलान्यास 30 जून 2024 को हुआ था। मेसर्स माधव इंफ्रा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड और मेसर्स क्वांट सोलर की साझेदारी से यह परियोजना समय पर पूरी की गई।

उल्लेखनीय है कि मरोदा-1 की सफलता के बाद मरोदा-2 जलाशय पर भी इसी तरह की फ्लोटिंग सोलर परियोजना लाने की योजना है।

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