छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव ने कहा कि “देशहित, जनहित और राष्ट्रहित से ऊपर कुछ नहीं है”
भिलाई, हिंदी पत्रकारिता के गौरवपूर्ण 200 वर्षों की यात्रा के अवसर पर भिलाई में लोकजागरण की संस्था “वसुंधरा” द्वारा एक भव्य वैचारिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में भारतबोध, भारतीयता और हिंदी पत्रकारिता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर देश के ख्यातिनाम पत्रकारों, लेखकों और चिंतकों ने अपने विचार रखे।
इस समारोह के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव थे। उन्होंने हिंदी पत्रकारिता की ऐतिहासिक भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि दो सौ वर्षों में पत्रकारिता ने केवल समाचार नहीं दिए, बल्कि देश के लोकतंत्र, संस्कृति, शिक्षा और जनजागरण में भी एक सशक्त भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता ने भारतबोध और राष्ट्रवाद को पुष्ट करने में हमेशा अग्रणी भूमिका निभाई है। यादव ने जोर देकर कहा कि “देशहित, जनहित और राष्ट्रहित से ऊपर कुछ नहीं है।” उन्होंने इस तरह की संगोष्ठियों को राष्ट्रचिंतन के लिए आवश्यक बताते हुए इसे अमृतकाल की आवश्यकता बताया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे सुप्रसिद्ध पत्रकार, लेखक और संपादक अनंत विजय (नई दिल्ली)। उन्होंने अत्यंत तार्किक एवं ऐतिहासिक दृष्टिकोण के साथ यह स्थापना दी कि हिंदी पत्रकारिता की आत्मा भारतीयता और भारतबोध में ही निहित रही है। उन्होंने कहा कि देशसेवा, तपस्या और उत्तरदायित्वों का निर्वहन ही पत्रकारिता का मूल धर्म रहा है। उन्होंने कहा कि यह समय राष्ट्रवादी सोच के साथ पत्रकारिता के मूल स्वरूप की पुनर्प्रतिष्ठा का है।

भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक डॉ. संजय द्विवेदी ने हिंदी पत्रकारिता के दो सौ वर्षों की यात्रा का गहन विश्लेषण करते हुए कहा कि भारतबोध और भारतीयता हिंदी पत्रकारिता की आत्मा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अलग-अलग कालखंडों में पत्रकारों ने अपने लेखन और रिपोर्टिंग से भारत की आत्मा को अभिव्यक्त किया है। उन्होंने समकालीन पत्रकारिता में आ रही चुनौतियों और गिरावट पर भी अपनी बेबाक राय रखी और पत्रकारों से मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहने की अपील की।
छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शशांक शर्मा ने भी संगोष्ठी को संबोधित करते हुए पत्रकारिता में वैचारिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने पत्रकारिता को समाज का दर्पण बताते हुए कहा कि इसमें केवल सूचना नहीं, दृष्टिकोण और दिशा दोनों शामिल होनी चाहिए।
इस अवसर पर आयोजक संस्था वसुंधरा के प्रमुख विनोद मिश्र ने स्वागत भाषण दिया और कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि यह संगोष्ठी केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि पत्रकारिता के मूल्यों को पुनः स्थापित करने का एक प्रयास है।
कार्यक्रम में ‘कृति बहुमत’ पत्रिका के विशेषांक –
- भारतीय पत्रकारिता पर केंद्रित मासिक अंक
- ‘छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता: नींव के पत्थर’ का लोकार्पण भी मुख्य अतिथियों द्वारा किया गया।
इस अवसर पर प्रसिद्ध लोकगायिका रजनी रजक ने छत्तीसगढ़ राज्य गीत प्रस्तुत किया, वहीं सोनाली चक्रवर्ती ने वंदे मातरम् की मनमोहक प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का संचालन विश्वेश ठाकरे और श्वेता उपाध्याय ने किया, जबकि अतिथियों का स्वागत दिनेश बाजपेयी, सोनू राम सिंह, नरेंद्र बंछोर, अश्विनी नागले, सुनीता वर्मा, अनिता सावंत, डी एन शर्मा, ई वी मुरली, अंकुर मिश्रा, अरविंद मिश्रा, वीरेंद्र नाथ पाण्डेय, सुमन कन्नौजे, श्रद्धा पुरेन्द्र साहू सहित अनेक सहयोगियों ने किया।
कार्यक्रम में दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर, समाजसेवी अमित श्रीवास्तव, कुलपति प्रो. संजय तिवारी, पूर्व मंत्री रमशीला साहू, युवा समाजसेवी इंद्रजीत सिंह, पुनीत चौबे, लेखक लोकबाबू, विजय वर्तमान, कमलेश चंद्राकर, डी पी देशमुख, डा. संजय दानी, परविंदर सिंह, रामकुमार वर्मा, पत्रकार निर्मल साहू, मयंक चतुर्वेदी, यशवंत धोटे, कोमल धनेसर, संगीता मिश्रा, विमल शंकर झा, योगेश कुमार, मिथलेश ठाकुर, अनुभूति ठाकुर, अरुण मिश्रा, डा. नौशाद सिद्दीकी, डा. यशवंत साहू, हितेश साहू और अनेक पत्रकार, साहित्यकार व समाजसेवी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
वसुंधरा द्वारा आयोजित यह संगोष्ठी एक महत्वपूर्ण वैचारिक पहल के रूप में सामने आई, जहां पत्रकारिता के ऐतिहासिक योगदान के साथ-साथ इसकी समकालीन चुनौतियों और राष्ट्र निर्माण में भूमिका पर गहन विचार हुआ। कार्यक्रम ने यह स्पष्ट किया कि आने वाले समय में भी पत्रकारिता को भारतबोध और भारतीयता के मूल्यों को आगे ले जाने की आवश्यकता है।