15 दिवसीय महोत्सव में गूगल मीट पर ज्ञान-विज्ञान कोष की कुंजी संस्कृत को जाना जिज्ञासुओं ने

Editor
By Editor 3 Min Read

शिक्षा नीति की आत्मा है संस्कृत, जिसने बनाया भारत को विश्वगुरु

भिलाई। छत्तीसगढ़ संस्कृत शिक्षा सेवा संस्थान द्वारा पन्द्रह दिवसीय संस्कृत महोत्सव का सफल सम्पूर्ति समारोह सम्पन्न हुआ। आभासीय पटल पर लोकप्रिय हुए इस समारोह से उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश, पंजाब एवं हरियाणा के साथ अन्य प्रदेशों के विशेषज्ञों एवं विद्यार्थियों ने भी गहरी रुचि दिखाई। गूगल मीट पर उन सभी की जिज्ञासा देखते ही बनती।

स्वामी गोविन्द गिरि महाराज अयोध्या, आयोजक संस्थान के अध्यक्ष आचार्य नवीन शर्मा बिलासपुर एवं भिलाई के प्रसिद्ध विद्वान् डॉ.महेश चन्द्र शर्मा ने विशेष रूप से गरिमामय मार्गदर्शन दिया।समापन समारोह के मुख्य अतिथि महर्षि पाणिनि विश्वविद्यालय उज्जैन के पूर्व कुलपति प्रो.रमेश चन्द्र पण्डा ने बताया कि संस्कृत भारतीय ज्ञान परम्परा का मूल आधार है। डॉ.हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के संस्कृत प्राध्यापक डॉ.नौनिहाल गौतम ने कहा कि “ज्ञान भारतम्” भारत शासन का नया उपक्रम है। “सत्यमेव जयते” की तरह पूरे देश की संस्थाओं के आदर्श वाक्य संस्कृत में हैं।

छ.ग.संस्कृत विद्या मण्डलम् के पूर्व अध्यक्ष डॉ.सुरेश कुमार शर्मा ने विस्तार से संस्कृत का महत्व रेखांकित किया और छत्तीसगढ़ी-संस्कृत शब्दकोश रचना की जानकारी दी। भिलाई के आचार्य डॉ.महेश चन्द्र शर्मा ने कहा कि नाट्यशास्त्र विश्व धरोहर है और नटराज शिव नाटक और नृत्यों के आराध्य देव हैं। साथ ही 14 माहेश्वर सूत्र उनके डमरू से निकले हैं। आयोजन के सूत्रधार डॉ. मनीष शर्मा ने कहा कि 15 दिवसीय यह ज्ञान यज्ञ और परिचर्चा यह सिद्ध करने में पूर्ण सफल रहा कि ” संस्कृत विज्ञान का आधार है” । इस संस्कृत महोत्सव  के दौरान श्लोक पाठ प्रतियोगिता, गीता प्रश्न मंच प्रतियोगिता एवं संस्कृत सम्भाषण प्रतियोगिता में भी सक्रिय भागीदारी रही। इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ की डॉ.पूर्णिमा केलकर, आचार्य मुकेश चौबे, आचार्य युवराज मिश्र, डॉ. रूपेन्द्र राधेश्याम तिवारी एवं आचार्य हेमन्त शर्मा आदि का विशेष  सहयोग रहा। इस  डॉ. तोयनिधि वैष्णव, डॉ.दिव्या देशपाण्डेय, दुर्गेश नन्दिनी सोनी,सरस्वती श्रीवास्तव, ईश्वरी देवांगन, श्रद्धा दुबे, ईश्वरी प्रसाद साहू , शैलेश कुमार शर्मा, मनोज वैष्णव, पुराणिक निषाद, संतोष बघेल एवं रामायण साहू आदि अनेकानेक संस्कृत शिक्षक वृन्द जुड़े रहे।

Share This Article