. पशुधन संरक्षण, नस्ल सुधार, रोजगार को मिलेगा बढ़ावा
. प्रत्येक गौधाम में अधिकतम 200 गोवंशीय मवेशी रखे जा सकेंगे
. चरवाहे को 10,916, गौसेवक को 13,126 रु. प्रतिमाह मानदेय
रायपुर, राज्य सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने और पशुधन संरक्षण को नई दिशा देने के लिए गौधाम योजना शुरू करने जा रही है। यह महत्वाकांक्षी योजना न केवल पशुधन की सुरक्षा और नस्ल सुधार को बढ़ावा देगी, बल्कि जैविक खेती, चारा विकास और गौ-आधारित उद्योगों के जरिए गांव-गांव में रोजगार के नए अवसर भी खोलेगी। योजना को वित्त एवं पशुधन विकास विभाग से मंजूरी मिल चुकी है।
मुख्यमंत्री साय ने शनिवार को * कहा कि इस योजना से प्रदेश में – पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और बड़ी संख्या में चरवाहों एवं गौसेवकों को नियमित आय का साधन मिलेगा। नस्ल सुधार से – अधिक दूध उत्पादन और खेती किसानी में पशुओं के उपयोग की क्षमता बढ़ेगी। साथ ही, जैविक खेती और चारा विकास कार्यक्रम को भी गति मिलेगी। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह योजना पशुधन संरक्षण, ग्रामीण रोजगार और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई पर ले जाएगी।
अवैध तस्करी और घुमंतु पशुओं की सुरक्षा पर फोकस
पशुधन विकास विभाग ने योजना विशेष रूप से तस्करी या अवैध परिवहन में पकड़े गए और घुमंतु मवेशियों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर तैयार की है। प्रत्येक गौधाम में अधिकतम 200 गोवंशीय मवेशी रखे जा सकेंगे। चरवाहों को 10,916 और गौसेवकों को 13,126 प्रतिमाह मानदेय मिलेगा। चारे के लिए प्रतिदिन निर्धारित राशि दी जाएगी। उत्कृष्ट गौधाम को मवेशियों की संख्या और वर्ष के अनुसार 10 से 35 रुपये प्रति मवेशी प्रतिदिन की दर से अतिरिक्त सहायता मिलेगी।
गौधाम की स्थापना और संचालन गौधाम उन्हीं शासकीय भूमि पर स्थापित होंगे जहां सुरक्षित बाड़ा, पशु शेड, पानी और बिजली की सुविधा हो। जिला प्रशासन के प्रस्ताव पर इन्हें प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में पहले चरण में खोला जाएगा। संचालन की जिम्मेदारी पंजीकृत गोशालाओं, स्वयंसेवी संस्थाओं, ट्रस्ट, किसान उत्पादक कंपनियों या सहकारी समितियों को दी जाएगी।
चारा विकास और गो-उत्पाद प्रशिक्षण को बढ़ावा गौधाम में गोबर खरीदी नहीं होगी, गोबर का उपयोग चरवाहा स्वयं करेगा। चारा विकास के लिए एक एकड़ पर 47,000 और पांच एकड़ पर 2,85,000 की आर्थिक सहायता का प्रावधान है। प्रत्येक गौधाम को प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां ग्रामीणों को गौ-उत्पाद आधारित उद्योग- केंचुआ खाद, कीट नियंत्रक, गौ काष्ठ, गोनोइल, दीया, दंतमंजन, अगरबत्ती बनाने प्रशिक्षण दिया जाएगा।