साहित्य सृजन संस्थान द्वारा ‘एक शाम पत्रकारों के नाम’ कार्यक्रम का आयोजन

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कवियों ने पत्रकारों पर सुनाईं कविताएं

रायपुर। पत्रकार, साहित्यकारों पर लिखा-पढ़ा करते हैं, लेकिन आज ऐसा हुआ कि साहित्यकारों ने पत्रकारों पर लिखा और खूबसूरती से काव्य-पाठ किया। पत्रकार सुनते रहे। अवसर था साहित्य सृजन संस्थान के तत्वावधान में रविवार को सिविल लाइंस स्थित वृंदावन हॉल में आयोजित ‘एक शाम पत्रकारों के नाम’ कार्यक्रम का। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार, इतिहासकार और पूर्व आईएएस अधिकारी संजय अलंग रहे, जबकि अध्यक्षता संस्थान के अध्यक्ष वीर अजीत शर्मा ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. प्रियंका खत्री, साहित्यकार और वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप जोशी, संस्थान के महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष और सुप्रसिद्ध कवयित्री ममता खरे ‘मधु’, वरिष्ठ पत्रकार आशिफ इकबाल और राजकुमार धर द्विवेदी उपस्थित रहे।

इस अवसर पर नईदुनिया से सेवानिवृत्त हुए वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार धर द्विवेदी को पत्रकारिता और साहित्य में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इनके साथ ही वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार प्रदीप जोशी, आसिफ इकबाल, एशियन न्यूज की एंकर आहना पुंज और द लेंस की जर्नलिस्ट पूनम ऋतु सेन को भी सम्मानित किया गया।
पिता के नाम पर आयोजित पिछले माह के काव्य पाठ में श्री सुरेंद्र रावल, पूर्वा श्रीवास्तव, डॉ रामेश्वरी दास, कु.अदिति वर्मा,एवं बालिका आराध्य शर्मा को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में रचनाकारों ने पत्रकार और पत्रकारिता पर एक से बढ़कर एक कविताएं सुनाईं। बानगी के तौर पर  रचनाओं के अंश –

आरडी अहिरवार ने पढ़ा-
बढ़ता है सबका ज्ञान समाचार पत्र से,
होती है ऊंची शान समाचार पत्र से।
करते हैं लोग नाश्ता, पीते हैं खूब चाय
चलती हैं कुछ दुकान समाचार पत्र से।

डॉ. रामेश्वरी दास ने सुनाया-
सुनो-सुनो एक ऐसी कहानी
कलम से कहती अपनी जुबानी
व्यथा सुनाकर अंतर्मन में
मैं खोई कुछ तुम खोए थे
कलम मुझे सच-सच बतलाना
मैं रोई या तुम रोए थे?

शिवशंकर गुप्ता ने सुनाया-
खबरों के दाता और विधाता,
पत्रकार ही होते हैं,
जब तक पेपर छप न जाता,
तब तक यह नहीं सोते हैं।

दशरथ सिंह भुवाल –
करे इकठ्ठा सूचना, खोजबीन दिन रात।सबको सम्पादित करें,सटिक बनाने बात।१।
जीवन जोखिम डाल के, करे राज़ में छेद।
रखते सत्य निकाल के,अंदर का ले भेद।२।

जुगेश चंद्र दास कोसरंगी-
जा सकती है जान राह में,
इसका भी कोई गम नहीं।
पत्रकार इस हिंद देश के,
सैनिक से कुछ कम नहीं।

सुषमा बग्गा-
नींदें गिरवी रख दीं जिन्‍होंने,
सच की राह चुनी है।
हर तूफां से लड़कर भी,
आवाज़ बुलंद रखी है।

उमेश कुमार सोनी ‘नयन’-
मेरे हाथ में इस वक़्त ये जो अख़बार है l शब्दों की कतार नहीं ये दोधारी तलवार है।

ममता खरे ‘मधु’-
कशिश दिल में हो तो निखरते हैं रिश्ते,
बिना कोशिशों के बिखरते हैं रिश्ते।
समर्पण सरलता सदा साथ रख कर,
सजते सँवरते सुधरते हैं रिश्ते।

पूर्वा श्रीवास्तव-
ना तीर से तलवार से
कटारी की न धार से
लड़ते सदा ही जंग वो
सिर्फ कलम के वार से!!

इनके अलावा राजेन्द्र रायपुरी, डॉ. सिद्धार्थ श्रीवास्तव, सीमा पांडेय ‘सीमा’, अनामिका शर्मा, मंजूषा अग्रवाल, पंखुरी मिश्रा, अंजू मिश्रा ‘अश्रु’, सुषमा पटेल, वंदना ठाकुर, किशोर लालवानी, सोनिया सोनी, आशा झा, हबीब खान समर, अंजु पाण्डेय, कल्याणी तिवारी, मन्नू लाल यदु, सुप्रिया शर्मा, डॉ नौशाद सिद्दीकी, राममूरत शुक्ला, राजकुमार शुक्ला, अशोक खरियाल, अजय सोनी, रमेश ओझा, विक्रम शारदा, सुनील शर्मा, विजया ठाकुर, रतन जैन, अमित कुमार सिन्हा, डॉ.एच एन गौतम, डॉ चंद जैन, वीरेंद्र शर्मा, प्रमदा ठाकुर, संजय देवांगन, आयशा अहमद, योगेश बक्षी आदि ने काव्य-पाठ कर वाहवाही लूटी।

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