साईं झूलेलाल धाम 32 एकड़ हाउसिंग बोर्ड में लगा स्वास्थ्य शिविर

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भिलाई। आदर्श सिंध ब्रादर मंडल, धन्वंतरी चिकित्सक संघ एवं स्पर्श मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल के संयुक्त तत्वाधान में निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। परामर्श, विश्व आरोग्य की प्रार्थना कर देशहित के लिए संकल्पित रहने की शपथ भी ली गई।

साईं झूलेलाल धाम 32 एकड़ हाउसिंग बोर्ड भिलाई में आदर्श सिंध ब्रादर मंडल हाउसिंग बोर्ड भिलाई सिंधी समाज एवं धन्वंतरी चिकित्सक संघ के अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र कृष्णानी के अथक प्रयासों से स्पर्श मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के संयुक्त तत्वाधान में निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन सिंध की सीमाओं के रक्षक महाराजा दाहिर सेन जी के 1313 वें बलिदान दिवस 23/06/2025, सोमवार को आयोजित किया गया, सुबह 11 बजे से 12 बजे तक पंजीयन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत साईं झूलेलाल जी की आरती, अरदास एवं पल्लव के साथ हुई। तत्पश्चात साईं झूलेलाल जी से विश्व आरोग्य की अरदास की गई। कार्यक्रम के समापन पर महाराजा दाहिर सेन जी की जीवनी पर प्रकाश डालकर उनके समर्पण की भांति राष्ट्र हित हेतु प्रतिबद्ध रहने का संकल्प लिया । शिविर में उपस्थित सभी शिविरार्थियों की खून जांच, शुगर जांच, ब्लड प्रेशर की जांच एवं अन्य जांच की गई। उनकी शारीरिक कान, नाक, आंख, गले, पेट, हार्ट, किडनी की समस्याओं के निदान हेतु आगामी इलाज हेतु परामर्श देकर अस्पताल में इलाज हेतु निशुल्क टोकन भी जारी किया गया। अंत में मौन श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित महिलाओं व पुरुषों के अलावा शामिल न हो पाने वाले सदस्यों ने यथास्थान दो मिनट मौन होकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

समाज की एकता एवं देशभक्ति की भावना व अखंडता को कायम रखने के लिए सुबह एवं शाम के कार्यक्रमों में समाज के अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र कृष्णानी ने अपने उद्बोधन में महाराजा दाहिर सेन जी की शूरवीरता के बारे में बताया कि राजा दाहिर सेन लोधी सिंध के अंतिम हिंदू राजा थे।उनके समय में ही अरबों ने सर्वप्रथम सन ७१२ में भारत (सिंध) पर आक्रमण किया था। मुहम्मद बिन क़ासिम मिशन 712 में राजा दहिर सेन ने उसे रोककर युद्ध लड़कर सिंध को बचाया। उनका शासन काल 663 से 712 ईसवी तक रहा उन्होंने अपने शासनकाल में अपने सिंध प्रांत को बहुत ही मजबूत बनाया। मोहम्मद साहब के पारिवारिक हुसैन इब्न अली और अन्य कई लोगों ने इनसे शरण मांगी इन्होंने सभी को शरण दी।अरब में खलीफा शासन लागू होने पर खलीफा मोहम्मद साहब के वारिस को और सभी पारिवारिक लोगों को मारने हेतु जनरल हज्जाज को फौजी दस्ते के साथ भेजा और राजा दाहिर सेन ने उसको मार के भगा दिया। फिर अरब के खलीफा ने मोहम्मद बिन कासिम को भेजा और कासिम ने राजा दाहिर सेन जी एक सिपहसालार को दाहिर को राज गद्दी का ख्वाब दिखाकर राजा के साथ गद्दारी कर पहली बार राजा को हराया। राजा दाहिर सेन लोधी अपने जीवन काल में कभी नही हारे थे 16 जून 712 में उनका सिंधु नदी के किनारे उन्होंने बलिदान दे दिया।इस अवसर पर समाज की ओर से समाज के अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र कृष्णानी, उपाध्यक्ष सुभाष भगत, सहसचिव पंकज आहूजा, जयेश तलरेजा, अमृत कृष्णानी, कंचन विरानी, अलका थारवानी, हर्ष नागदेव,मुस्कान थारवानी आदि उपस्थित थे।

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