गुरु नानक जयंती को यादगार बनाने 20 दिवसीय चालीहा महोत्सव का शुभारंभ

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जपजी साहिब के 40 पाठों के साथ सिंधी समाज में आध्यात्मिक वातावरण का संचार, दीपावली पूजन यंत्र ‘पुटढ़े’ का निशुल्क वितरण

रायपुर, हाउसिंग बोर्ड सिंधी समाज में इस वर्ष गुरु नानक देव जी की जयंती को विशेष और आध्यात्मिक रूप से भव्य बनाने की दिशा में 20 दिवसीय चालीहा महोत्सव का शुभारंभ शुक्रवार 2025 को किया गया। इस आयोजन की पहल आदर्श सिंध ब्रादर मंडल एवं साईं झूलेलाल धाम महिला मंडली के संयुक्त प्रयासों से की गई है।

इस चालीहा महोत्सव के अंतर्गत गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित गुरु नानक देव की प्रथम वाणी ‘जपजी साहिब’ के 40 पाठों का वाचन प्रतिदिन प्रातः 9 बजे पुरुष मंडली द्वारा एवं सायं 5 बजे महिला मंडली द्वारा किया जाएगा। यह क्रम 05 नवम्बर 2025 तक प्रतिदिन 20 दिनों तक चलेगा।

चालीहा महोत्सव की दिव्यता से सराबोर हुआ पहला दिन

कार्यक्रम की शुरुआत साईं झूलेलाल जी की आरती, अरदास एवं पल्लव के साथ की गई। इसके पश्चात पुरुष श्रद्धालुओं द्वारा जपजी साहिब का भावपूर्ण पाठ किया गया। संध्याकालीन सभा में महिला मंडली ने वाचन का नेतृत्व किया, जिसके पश्चात गुरु नानक देव जी के जीवन प्रसंगों को भजनों के माध्यम से प्रस्तुत कर उपस्थित श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।

संपूर्ण दिन का समापन आरती, अरदास और पल्लव के साथ किया गया, जिसमें समाज की मंगलकामना की प्रार्थना की गई।

दीपावली पर्व के लिए पवित्र पूजन यंत्र ‘पुटढ़े’ का वितरण

इस अवसर पर समाज में छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत युवा विंग के सहयोग से परंपरागत दीपावली पूजन यंत्र ‘पुटढ़े’ का निशुल्क वितरणभी किया गया, जो भक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र रहा।

समाज के पदाधिकारी और सदस्यों की गरिमामयी उपस्थिति

इस दिव्य अवसर पर समाज के वरिष्ठ पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से समाज अध्यक्ष डॉ. श्री धर्मेंद्र कृष्णानी, सलाहकार सुरेश नागदेव, उपाध्यक्ष सुभाष भगत, महासचिव अनिल थारवानी, कार्यकारिणी सदस्य मनोज डिंगा, महिला मंडली की सक्रिय सदस्याओं में लक्ष्मी नागदेव, लता मेहरचंदानी, वंदना कृष्णानी, कमला भगत, सुमन थारवानी, अंजली कृष्णानी, अलका थारवानी, निर्मला कृष्णानी, पूजा आसनानी, आरती नागदेव, कल्पना गंगवानी, माया थारानी, दिशा कुकरेजा, भावना माखीजा, चहक बढ़ानी प्रमुख रूप से उपस्थित रहीं।

आध्यात्मिकता और सामूहिक भक्ति का संगम

यह आयोजन केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि समाज को भक्ति, अनुशासन और सामूहिक साधना से जोड़ने का एक सुंदर प्रयास है। गुरु नानक देव के उपदेशों को जीवन में आत्मसात कर श्रद्धालु इस आयोजन को एक आध्यात्मिक महायात्रा में परिवर्तित कर रहे हैं ।

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